...विकास है?
बिकते खेत
मिटते गाँव
उगती इमारते
फलते शहर
विकास है?
मिटती लीक
बढती सड़क
मरते मजदुर
तकते हुजूर
विकास है?
भूखे किसान
सरहद पे जवान
शहर में बैठा
मजेमे इंसान
विकास है?
Monday, March 28, 2011
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संजीव कुमार बब्बर
bindas..... bahut kuch kaha gaye aap bahut kam shabdo mai
ReplyDeleteawesome!
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