
आज उनकी याद आई
आंसू भर आए आंखों में
फिर सोच में पड़ गया मैं
हमें भी याद करेंगी संतानें हमारी
आज हम कुछ ऐसा कर रहे हैं
जिससे कायम रहेगी आज़ादी हमारी।
आज तो देश का यह हाल है
ख्याल नहीं किसी को आज़ादी का
आज हम एक ऐसे चोर हैं
जो लूटते हैं अपने ही घर को
आज अपना हाल देख
आंसू भर आए आंखों में
क्षमा चाहता हूं उनसे
जिन्होंने हमे आज़ादी दी।
क्षमा कर सकते हैं मुझको वो
क्षमा कर नहीं सकता मैं खुद को
आज़ादी के नशे में इतना खो गया था मैं
याद नहीं रही आज़ादी की परिभाशा मुझको।
आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteएक निवेदन:
कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी देने में सहूलियत हो. मात्र एक निवेदन है.
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना.
बहुत-बहुत स्वागत..शुभकामनायें.
ReplyDeletesundar rachana ,swagat hai aapka
ReplyDeleteबढिया रचना है।बधाई।
ReplyDeleteआजादी दिलवाने वाले सारे हमको भूल गए।
कभी याद हमे आते नही फाँसी पर जो झूल गए।
क्षमा करना बंधू ये कविता नहीं गद्य है लेकिन भावः पूर्ण है -- शुभकामनाएं
ReplyDeleteहिंदी लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
ReplyDeletebahut sunder rachna hai
ReplyDelete